Kavita Jha

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मेरी बैस्टी मेरी डायरी# डायरी लेखन प्रतियोगिता -17-Dec-2021

29 दिसम्बर
शाम के पांच..
सितम्बर की यादें... कुछ खट्टी-मीठी
इस महीने मैं एक ऐसे उपन्यास पर काम कर रही थी जो मेरे लिए बहुत कठिन था, और मैं इस विषय पर बहुत समय से लिखना चाह रही थी। रामायण और महाभारत की ये पांच कन्याएं मुझे हमेशा अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। अहिल्या,तारा, मंदोदरी, कुंती और द्रोपदी...ये पांचों ऐसी स्त्रियां है जो सदा विवाद के घेरे में रही किसी का छल से बलात्कार किये जाने पर पाषाण में परिवर्तित होना तो किसी ने उत्सुकता वश विवाह से पहले ही मंत्र जाप कर गर्भ धारण किया। किसी के पांच पति तो किसी ने अपने पति की मौत के बाद उसके भाई से विवाह किया...पर जानती है बैस्टी वो पांचों कन्या रूप में ही पूजी जाती है। मैंने बहुत अलग जो हमने पढ़ा सुना है सीरियल वगैरह में देखा है उस सबसे अलग लिखने की कोशिश की है..पर बिना तथ्यों के मनगढ़ंत काल्पनिक तो लिख नहीं सकती थी... बहुत अध्ययन किया इस साल मैंने इस विषय पर। कहानी अगस्त में ही लिखनी शुरू कर दी थी , जो करीब तीन महीने लिखती रही।पता नहीं जिस प्रतियोगिता के लिए लिखी हैं वहां ये चुनी जाएगी या नहीं पर कुछ दिन और इंतजार कर लेती हूं उसके बाद लेखनी और किसी अन्य मंच पर प्रकाशित करूंगी।मेरा ये उपन्यास ' पंचामृत सी पंचकन्या' जो पौराणिक कथाओं के साथ साथ आधुनिक कहानी का मिश्रण है जिसमें एक औरत जिसका नाम नीलिमा है की पांच बेटियों की कहानी साथ साथ चल रही है।
पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन अपने दो शिक्षक यानि मेरे दोनों बेटों को विश किया... सबसे बड़े शिक्षक आज के दिन में आपकी संतान ही होती है... ये है मेरी विचारधारा... 
उस दिन सुबह सुबह छोटका गिफ्ट के लिए तकादा करने लगा.. अब तक क्या-क्या सिखाया है उसने मुझे पूरी लिस्ट बना कर तैयार कर रखा था... तो डेरी मिल्क सिल्क तो बनता ही था छोटे गुरु देव के लिए...
बड़े बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित थे... बारहवीं बोर्ड परीक्षा हुए बिना परिणाम.. आगे कहां कैसे एडमिशन होगा... बच्चे का घटता confidence level.. चार entrance exam की जगह सिर्फ एक ही पेपर दिया था, दूसरे में तबियत खराब हो गई सेंटर पर जाकर, बिना परिक्षा दिए लौट आया... फिर ओनलाइन कोचिंग. में पैसे पानी की तरह बहा रहे थे... हर दूसरे तीसरे दिन फीस सब्मिट करने के बाद उसे पसंद नहीं आता और फिर नए के लिए इंतजाम करना.. बहुत मुश्किल समय था वो भी हमारे लिए।
बस उस मुश्किल समय में भी प्रतिलिपि के साथ लेखनी और अन्य मंच बहुत सहारा बने मेरा, विकट परिस्थितियों में भी मेरा लेखन सफर जारी रहा...
***
कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
#डा

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6 Comments

Gunjan Kamal

29-Dec-2021 06:10 PM

Very nice 👌

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Kavita Jha

29-Dec-2021 07:29 PM

धन्यवाद 🙏 गुंजन जी

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Ravi Goyal

29-Dec-2021 05:48 PM

हर मुश्किल घड़ी का बखूबी सामना करते हुए आपने लेखन को जिंदा रखो। आप एक बहुत उम्दा लेखिका हो 👌👌

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Kavita Jha

29-Dec-2021 07:28 PM

धन्यवाद भाई 🙏 उम्दा लेखिका तो पता नहीं... पर परिस्थितियों ने लिखना सिखा दिया

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Farhad ansari

29-Dec-2021 05:46 PM

👏

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Kavita Jha

29-Dec-2021 07:29 PM

🙏🙏

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